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Paryavaran Vichar

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“अतीत की परछाई: झूठ से सत्यमार्ग तक की यात्रा”

ByParyavaran Vichar

Apr 21, 2025

(आशी प्रतिभा)

आप कितना ही आगे , क्यूँ न निकल जाए ! कितनी ही नई दुनियाँ क्यूँ न रचा बसा ले किसी भी प्रकार का कार्य कर कितनी ही सफलता क्यूँ न प्राप्त कर ले ,पर वास्तविकता यही है कि अतीत आपका पीछा कभी नहीं छोड़ता । इसलिए ईश्वर द्वारा दिए गए इस जीवन में हमें हमेशा अपना आकलन करते रहना चाहिए।की जितना हो हम हमेशा ही ऐसे कार्य करे जिनसे न हमें कोई आत्म ग्लानि हो और न अपने किए हुए पर किसी प्रकार का पर्दा डालने की चिंता ।

कुछ मनुष्य अपने जीवन में किसी भी प्रकार के नियमों का पालन नहीं करना चाहते वे स्वतंत्रता ही चाहते हैं, उन्हें किसी के अनुसार चलने का मन एवं किसी भी कार्य के लिए किसी प्रकार का धैर्य नहीं होता है। वे वार बार गलती करते हैं।परंतु यह प्रयास नहीं करते समझने की के चूक उनसे कहां हो रही है। उनके द्वारा किए गए कार्यों पर कोई उंगली ना उठा दे इसीलिए वे और भी गलत कार्य करते हैं।

परंतु हमें सही और गलत का फैसला लेते समय यदि किसी परिस्थिति के अधीन नहीं है, तब अपने जीवन में किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले हमें स्वयं की वास्तविकता का सदैव ही आकलन जरूर करना चाहिए; कि हम कितने सही हैं क्या हम जो सोचते हैं वह ” समाज” के हित के लिए है ?? क्या वह हमारे हित के लिए है?? आप आज जैसे भी हैं शायद हो सकता है आपका वर्तमान अच्छा हो परंतु आपका एक गलत कदम आपके भविष्य को बिगाड़ सकता है इसीलिए हम जब जिस परिस्थिति में हो, उस समय स्थिति के अनुसार सदैव ही हमें स्व आकलन करना चाहिए और स्वयं का निर्णय स्व विवेक से ही करना चाहिए ।

कभी-कभी हम खुद निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होते हैं तब हमें किसी अनुभवी की सलाह लेनी चाहिए परंतु ऐसा कोई गलत कार्य नहीं करना चाहिए जिससे हमें आगे चलकर पछतावा हो। या किसी से झूठ पर बोलना पड़े।झूठ बहुत छोटा सा होता है परंतु वह एक बड़े सत्य को छुपा कर नियति द्वारा शानदार परिस्थिति को भी असत्य के साथ ही असहनीय , अवांछनीय स्थिति में तब्दील कर देता है।इसीलिए हम आज जो है उसको साथ लेकर चलना चाहिए कभी भी अपने अतीत से नज़रे नहीं छुपाना चाहिए । जो है वही है क्योंकि अतीत कभी किसी का पीछा नहीं छोड़ता । इसीलिए हमें अपना आज ऐसा जीना चाहिए की हमें कल किसी भी प्रकार का कोई खेद न । हमें अपने जीवन में झूठ बोलने से सदैव ही बचना चाहिए।

©आशी प्रतिभा 
साहित्यकार , स्वतंत्र लेखक
ग्वालियर , मध्य प्रदेश

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