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“ताड़ी पर तकरार: किसके हक़ की बात कर रही है बिहार की सियासत?”

(सलीम रज़ा) बिहार की सियासत हमेशा से जातीय समीकरण, सामाजिक आंदोलनों और लोक संस्कृति के मुद्दों से प्रभावित रही है। हाल के वर्षों में “ताड़ी” (खजूर या ताड़ के पेड़…

परेश रावल ने किया चौंकाने वाला खुलासा: घुटने की चोट के इलाज में 15 दिन तक पिया था अपना पेशाब

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर परेश रावल ने अपनी लाइफ से जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया है. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में परेश रावल ने बताया कि उन्होंने 15…

“लोकतंत्र में मर्यादा या दिखावा? सैल्यूट की नीति के सामाजिक संकेत”

(सलीम रज़ा) मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना के उस आदेश पर एक नई बहस छिड़ गई जिसमें उन्होंने पुलिस कर्मियों को सांसद विधायकों को सैल्यूट देने के आदेश…

“भारत और गर्मी: प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग का प्रतीक”

(सलीम रज़ा) भारत विविध जलवायु, विस्तृत भौगोलिक विस्तार और प्राकृतिक विविधता के कारण दुनियाभर के प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन गया है। सामान्यत: जब हम प्रवासी पक्षियों…

“जलते जंगल, बुझती सांसें: उत्तराखण्ड की वनाग्नि त्रासदी”

(सलीम रज़ा) उत्तर भारत का हरा-भरा राज्य उत्तराखण्ड अपने घने जंगलों, विविध जैव-विविधता और सुरम्य प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। परंतु हर वर्ष गर्मी के मौसम में यहाँ…

“प्रेम: आत्मा की शांति से अपराध तक का सफ़र”

(शिवम यादव अंतापुरिया) आज का समाज आधुनिकता की तेज़ रफ्तार में दौड़ रहा है, जहाँ रिश्तों की परिभाषाएँ बदली हैं, और भावनाओं की स्थायित्वता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।…

“पहलगाम हमला: आतंकी घटना या भारत के खिलाफ गहरी साजिश?”

(आशी प्रतिभा)  पहलगाम आतंकी हमला क्या सिर्फ आतंकी हमला है या ये भारत को कुछ और संकेत दे रहा है कही ये पुलवामा की तरह ही एक और उदाहरण सेट…

“समझ की डोर या संघर्ष का रास्ता? आज के वैवाहिक संबंधों की सच्चाई”

(सलीम रज़ा) पति-पत्नी का संबंध भारतीय समाज में पवित्र और आजीवन माने जाने वाला रिश्ता है। यह रिश्ता केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि सामाजिक, मानसिक और आर्थिक स्तर पर भी जुड़ा…

“अतीत की परछाई: झूठ से सत्यमार्ग तक की यात्रा”

(आशी प्रतिभा) आप कितना ही आगे , क्यूँ न निकल जाए ! कितनी ही नई दुनियाँ क्यूँ न रचा बसा ले किसी भी प्रकार का कार्य कर कितनी ही सफलता…

“नैतिकता का संकट: आज की राजनीति की वास्तविक कहानी”

(सलीम रज़ा) आज की राजनीति, जो कभी समाज और राष्ट्र की प्रगति का मार्गदर्शन करती थी, आज एक लचर और अस्थिर स्थिति में पहुँच चुकी है। जहां एक समय राजनेताओं…