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उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: जिला पंचायतों में निर्दलीयों का दबदबा, भाजपा और कांग्रेस पीछे

ByParyavaran Vichar

Aug 2, 2025

देहरादून । उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में इस बार बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। राज्य की 358 जिला पंचायत सीटों में से 145 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा समर्थित 121 और कांग्रेस समर्थित 92 प्रत्याशी विजयी हुए हैं।

यह लगातार दूसरा पंचायत चुनाव है जिसमें निर्दलीयों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को पीछे छोड़कर सबसे अधिक सीटें हासिल की हैं। 2019 में भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने लगभग 150 सीटों पर कब्जा किया था।

जिला पंचायत सदस्यों के जिलावार परिणाम (358 सीटें):

  • रुद्रप्रयाग (18): भाजपा – 05 | कांग्रेस – 04 | निर्दलीय – 09
  • चमोली (26): भाजपा – 04 | कांग्रेस – 05 | निर्दलीय – 17
  • टिहरी (45): भाजपा – 13 | कांग्रेस – 14 | निर्दलीय – 18
  • पौड़ी (38): भाजपा – 17 | कांग्रेस – 16 | निर्दलीय – 05
  • उत्तरकाशी (28): भाजपा – 07 | कांग्रेस – 00 | निर्दलीय – 21
  • देहरादून (30): भाजपा – 07 | कांग्रेस – 13 | निर्दलीय – 10
  • ऊधमसिंह नगर (35): भाजपा – 12 | कांग्रेस – 12 | निर्दलीय – 11
  • नैनीताल (27): भाजपा – 08 | कांग्रेस – 02 | निर्दलीय – 17
  • अल्मोड़ा (45): भाजपा – 14 | कांग्रेस – 13 | निर्दलीय – 18
  • पिथौरागढ़ (32): भाजपा – 15 | कांग्रेस – 03 | निर्दलीय – 14
  • चंपावत (15): भाजपा – 10 | कांग्रेस – 00 | निर्दलीय – 05
  • बागेश्वर (19): भाजपा – 09 | कांग्रेस – 06 | निर्दलीय – 04

चुनाव प्रक्रिया और आंकड़े:
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित कुल 66,418 पंचायत पदों में से 22,429 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए। शेष बचे 11,082 पदों के लिए दो चरणों में मतदान हुआ, जिनमें 32,580 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा:
“उत्तराखंड की देवतुल्य जनता का आभार। शांतिपूर्ण चुनाव में 70% से अधिक मतदान हुआ। अब सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे ग्राम विकास में सहयोग करें। जल्द ही पंचायत प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे।”

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा बोले:
“यह परिणाम भाजपा सरकार की नीतियों के विरोध का प्रमाण है। जिला पंचायत अध्यक्ष के कई पद कांग्रेस समर्थित बनेंगे, यदि भाजपा प्रलोभन और दबाव की राजनीति न करे।”

निष्कर्ष:
उत्तराखंड पंचायत चुनाव में एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि ग्रामीण मतदाता पारंपरिक दलों से इतर स्वतंत्र चेहरों पर अधिक भरोसा जता रहे हैं। अब देखना होगा कि आगामी जिला पंचायत अध्यक्ष पदों की दौड़ में कौन बाज़ी मारता है।

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