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Paryavaran Vichar

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अब कैंसर से बचाव होगा बहुत आसान, 20 साल पहले ही बीमारी को रोक देगी ये वैक्सीन

ByParyavaran Vichar

Feb 4, 2025

नई दिल्ली। कैंसर वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का कारण रहा है। हर साल इस रोग के कारण लाखों लोगों की मौत हो जा रही है। साल 2023 के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में कैंसर से लगभग 9.6 से 10 मिलियन (96 लाख से एक करोड़) लोगों की मौत हुई है। यह कैंसर के कारण हर दिन लगभग 26,300 मौतों के बराबर है। यह आंकड़ा इस बीमारी की गंभीरता को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर साल 4 फरवरी विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

मेडिकल क्षेत्र में नवाचार और लोगों में बढ़ी जागरूकता के कारण पहले की तुलना में अब समय पर कैंसर का निदान और इलाज जरूर आसान हो गया है हालांकि अधिकतर लोगों के लिए कैंसर अब भी डर का दूसरा नाम है। कैंसर के जोखिमों के बीच सामने आ रही एक खबर राहत देने वाली है। ब्रिटेन के वैज्ञानिक एक ऐसी वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जो इस घातक बीमारी को एक-दो नहीं बल्कि 20 साल पहले ही रोक सकती है। हालिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि वैज्ञानिक एक नए ‘कैंसर वैक्सीन’ के साथ चिकित्सा जगत में एक बड़ी सफलता हासिल करने के कगार पर हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक, फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी जीएसके के साथ मिलकर एक ऐसी वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जो शरीर में ‘अज्ञात कैंसर’ सेल्स का पता लगा सकती है। इतना ही नहीं दावा किया जा रहा है कि ये टीका बीमारी को विकसित होने से 20 साल पहले ही रोक सकता है। इस वैक्सीन को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में ऑन्कोलॉजी की प्रोफेसर सारा ब्लागडेन ने एक स्थानीय रेडियो से बातचीत में जानकारियां साझा की हैं। प्रोफेसर सारा कहती हैं, हम सभी हमेशा यही सोचते हैं कि शरीर में कैंसर के विकसित होने में लगभग एक या दो साल लगता है, लेकिन वास्तव में अब कई अध्ययन पुष्टि करते हैं कि कैंसर को विकसित होने में 20 साल तक का समय लग सकता है, कभी-कभी इससे भी अधिक। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक सामान्य कोशिका को कैंसर कोशिका बनने में बहुत समय लगता है।

हम जानते हैं कि इस समय काल में अधिकांश कैंसर अदृश्य होते हैं, कैंसर सेल्स जब इस अवस्था से गुजर रहे होते हैं तो इसे प्री-कैंसर स्टेज कहा जाता है। इसलिए इस वैक्सीन का उद्देश्य कैंसर के विरुद्ध टीकाकरण करना नहीं है, बल्कि वास्तव में प्री-कैंसर स्टेज में ही कैंसर का पता लगाना और उसे खत्म करना है। प्रोफेसर ब्लैगडेन कहती हैं ‘जीएसके-ऑक्सफोर्ड कैंसर इम्यूनो-प्रिवेंशन प्रोग्राम’ को कई तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के आधार पर लॉन्च किया गया है, जिसने प्री-कैंसर के खिलाफ वैक्सीन की संभावना को आशा दी है। हम भाग्यशाली हैं क्योंकि हमें बहुत सारी तकनीकी सफलताएं मिली हैं, जिसका मतलब है कि अब हम आमतौर पर पता न लगने वाली चीजों का भी पता लगाने में सक्षम हो रहे हैं।

अब तक हम यह पता लगाने में सक्षम हो गए हैं कि कैंसर की ओर बढ़ने वाली कोशिकाओं में क्या विशेषताएं हैं, इसलिए हम उस दिशा में विशेष रूप से लक्षित एक वैक्सीन डिजाइन करके इसे रोक सकते हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वैक्सीन निर्माण के इस प्रोग्राम के लिए जीएसके तीन वर्षों में £50 मिलियन (करीब 538 करोड़ रुपये) का निवेश करेगा। गौरतलब है कि शोधकर्ताओं ने पहले ही ट्यूमर स्पेसिफिक प्रोटीन की पहचान कर ली है, जिन्हें वैक्सीन द्वारा रोका जा सकता है। ये दोबारा से कैंसर होने के खतरे को कम करती हैं। इस नए शोध में कैंसर के फैलने से पहले ही इसे रोकने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण सफल रहते हैं और ये वैक्सीन उम्मीद के अनुसार काम करती है तो कैंसर को हराना आने वाले वर्षों में बहुत आसान हो सकता है। अभी इस टीके को विकसित होने में कितना समय लगेगा इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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