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चार दिसंबर 2008 तक के संविदाकर्मियों का नियमितीकरण संभव, कैबिनेट में जाएगी नई नियमावली

ByParyavaran Vichar

Sep 13, 2025

उत्तराखंड ।   उत्तराखंड  में दैनिक वेतनभोगी, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ आधार पर काम कर रहे हजारों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के बाद 28 अगस्त को मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में सचिव कार्मिक शैलेश बगौली, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, अपर सचिव न्याय मनीष कुमार पांडे, अपर सचिव कार्मिक नवनीत पांडे और अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद मौजूद रहे।

बैठक में तय किया गया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए वन टाइम एक्सरसाइज के तहत संविदा और अन्य अस्थायी कार्मिकों के नियमितीकरण की दिशा में नई पहल की जाए।

पुरानी नियमावलियों की झलक

  • 2011 की नियमावली: इसमें एक नवंबर 2011 तक 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को नियमित करने का प्रावधान था।
  • 2013 की नियमावली: इसमें संशोधन कर 30 दिसंबर 2013 तक 5 वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को शामिल किया गया।
  • 2018 में अड़चन: नैनीताल हाईकोर्ट ने इस नियमावली पर रोक लगा दी थी।

इसके बाद यह मुद्दा लगातार कानूनी और प्रशासनिक उलझनों में फंसा रहा।

अदालत का ताजा आदेश

नरेंद्र सिंह बनाम राज्य मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने 22 फरवरी 2024 को महत्वपूर्ण आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि नियमितीकरण के लिए 5 वर्ष की सेवा अवधि को बढ़ाकर 10 वर्ष किया जाना चाहिए। इस आदेश के आलोक में शासन ने पुनर्विचार किया और तय किया कि 4 दिसंबर 2018 से 10 वर्ष पूर्व यानी 4 दिसंबर 2008 तक नियुक्त कर्मचारियों का नियमितीकरण प्रस्तावित किया जाए।

नई नियमावली 2025

सरकार अब 2013 की नियमावली के नियम चार के उप-नियम 1 में संशोधन करने जा रही है। इसके तहत तैयार विनियमितीकरण संशोधन नियमावली 2025 को जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। यदि कैबिनेट मंजूरी देती है तो संविदाकर्मियों के एक बड़े वर्ग को नियमित सेवा का लाभ मिलेगा।

हालांकि, इसमें यह साफ किया गया है कि आउटसोर्सिंग एजेंसियों (जैसे उपनल) के कर्मचारी इसमें शामिल नहीं होंगे।

संविदाकर्मियों की उम्मीदें

प्रदेश भर में वर्षों से कार्यरत संविदाकर्मी इस फैसले को लेकर उत्साहित हैं। उनका कहना है कि लंबे समय से वे अस्थायी सेवा में रहते हुए स्थायित्व और सुरक्षा से वंचित थे। यदि नियमावली कैबिनेट से पास हो जाती है, तो हजारों परिवारों को सीधी राहत मिलेगी।

आगे की राह

अब सबकी निगाहें कैबिनेट बैठक पर टिकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह नियमावली पारित हो जाती है, तो यह उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला होगा, जिसका असर न केवल कर्मचारियों के जीवन पर बल्कि प्रशासनिक ढांचे पर भी व्यापक रूप से पड़ेगा।

 

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