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जिनके अपने होश ठिकाने नहीं, वो मेरी काशी के बच्चों को नशेड़ी कह रहे हैं : PM

ByParyavaran Vichar

Feb 24, 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ‘नशेड़ी’ शब्द सुना तो वह हैरान रह गए। राहुल गांधी का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस परिवार के राजकुमार कहते हैं कि यूपी के युवा ‘नशेड़ी’ हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ”उन्होंने मोदी को गाली देने में दशकों बिताए। लेकिन अब वे अपनी हताशा लोगों पर प्रकट कर रहे हैं।” राहुल पर हमला करते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस के युवराज का कहना है कि काशी के नौजवान, यूपी के नौजवान नशेड़ी हैं। जिनके अपने होश ठिकाने नहीं हैं, वो यूपी के, मेरी काशी के बच्चों को नशेड़ी कह रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी को गाली देते-देते तो इन्होंने 2 दशक बिता दिए और अब ईश्वर रूपी जनता-जनार्दन पर, यूपी के नौजवानों पर ही ये लोग अपनी हताशा निकाल रहे हैं। अरे घोर परिवारवादियों… काशी का, यूपी का नौजवान तो विकसित यूपी बनाने में जुटा है, अपना समृद्ध भविष्य लिखने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कर रहा है। उन्होंने कहा कि आजकल तो इनके गुस्से का, इनकी बौखलाहट का एक और भी कारण है। इनको काशी और अयोध्या का नया स्वरूप बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा। ये अपने भाषणों में राम मंदिर को लेकर कैसी-कैसी बातें करते हैं। मैं ये नहीं जानता था कि कांग्रेस को प्रभु श्रीराम से इतनी नफरत है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये अपने परिवार और वोटबैंक से बाहर देख नहीं सकते, सोच नहीं सकते। तभी तो हर चुनाव के दौरान साथ आते हैं और जब परिणाम ‘निल बटे सन्नाटा’ आता है तो ये एक-दूसरे को गाली देते हुए अलग हो जाते हैं। इस बार तो इनको जमानत बचाने के लिए ही बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मोदी की गारंटी है- हर लाभार्थी को शत-प्रतिशत लाभ। मोदी लाभार्थियों के सैचुरेशन की गारंटी दे रहा है, तो यूपी ने भी सारी सीटें मोदी को देने का निर्णय किया है। यानी इस बार यूपी शत-प्रतिशत सीटें NDA के नाम करने वाला है।

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विभिन्न परियोजनाओं के उद्घाटन, लोकार्पण और शिलान्यास करते समय मोदी ने कहा कि यहां आने से पहले मैं बनास डेयरी प्लांट में गया था। वहां मेरी अनेक पशुपालक बहनों से बातचीत भी हुई है। किसान परिवारों की इन बहनों को 2-3 साल पहले हमने स्वदेशी नस्ल की गीर गाय दी थीं। मकसद ये था कि पूर्वांचल में बेहतर नस्ल की स्वदेशी गायों को लेकर जानकारी और बढ़े, किसान-पशुपालकों को फायदा हो। आज यहां गीर गायों की संख्या साढ़े तीन सौ के करीब तक पहुंच चुकी है।

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