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महिला को 30 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 10.50 लाख रुपये ठगे, फॉर्मूला वही… मुंबई क्राइम ब्रांच!

ByParyavaran Vichar

Aug 5, 2024

देहरादून। आप डिजिटल अरेस्ट कर ली गई हैं…। जो भी पूछा जाए उसका सही-सही जवाब दो, नहीं तो मुंबई क्राइम ब्रांच आना होगा…। साइबर ठगों की इस चाल में आराघर निवासी महिला फंस गईं। साइबर ठगों ने उनका कुरियर अवैध बताकर वीडियो कॉल पर जोड़ लिया। उनसे 30 घंटे पूछताछ की गई। इस दौरान महिला अपने घर में ही रहीं। मामले को सुलझाने के नाम पर उनसे 10.50 लाख रुपये ठगों ने अपने खाते में जमा करा लिए। महिला की शिकायत पर डालनवाला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

ठगी का शिकार मॉडल कॉलोनी निवासी एकता सिंह हुई हैं। उन्होंने बताया कि 31 जुलाई को उन्हें एक कॉल आई। कॉल करने वाले बताया कि उनका एक अवैध कुरियर थाईलैंड जा रहा था जिसे रोक दिया गया है। उसने बताया कि उनका फोन मुंबई क्राइम ब्रांच ट्रांसफर किया जा रहा है। इसके बाद उन्हें एक स्काइप वीडियो कॉल पर लॉग-इन कराया गया। एकता सिंह से वीडियो कॉल पर 30 घंटे तक पूछताछ की गई। जो व्यक्ति बात कर रहा था वह पुलिस की वर्दी में था। सही-सही जानकारी नहीं देने पर उन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच बुलाने की धमकी दी गई। उसने कहा कि उनके दस्तावेज क्राइम ब्रांच भेजे जा चुके हैं।

एकता सिंह इतनी लंबी पूछताछ से परेशान हो गईं। कुछ देर बाद वीडियो कॉल पर मौजूद व्यक्ति ने कहा कि उन्हें बचाने के लिए साक्ष्य इकट्ठे किए जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें 10.50 लाख रुपये चाहिए। एकता सिंह डर गईं। उन्होंने जैसे-तैसे यह रकम इकट्ठा की और व्यक्ति के बताए खाते में यह रकम जमा कर दी। यह खाता चंद्रा इंटरनेशनल जीटी रोड कानपुर के नाम पर था। एसएचओ डालनवाला मनोज मैनवाल ने बताया कि एकता सिंह की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मोबाइल नंबरों के आधार पर आरोपियों की तलाश की जा रही है।

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है जिसके जरिए अपराधी लोगों को बंधक बना लेते हैं। खुद को पुलिस, सीबीआई, कस्टम या अन्य किसी एजेंसी का बड़ा अधिकारी बताकर धमकी देते हैं कि उनके खिलाफ कोई गंभीर प्रकरण दर्ज है। साइबर क्राइम करने वाले लोगों के बारे में पहले ही पूरी जानकारी जुटा लेते हैं और फिर गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं। काफी देर तक वे लोगों को ऑनलाइन बंधक बनाकर अपने काबू में रखते हैं। डर के मारे व्यक्ति वही करता है जो साइबर अपराधी उसे निर्देश देते हैं। यही डिजिटल अरेस्ट कहलाता है, जिसमें अपने घर में होने के बावजूद भी व्यक्ति मानसिक और डिजिटल रूप में किसी अन्य के काबू में होता है।

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