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उत्तराखंड UCC में बड़े बदलाव: धोखा देकर या शादीशुदा होकर लिव-इन रिलेशन में रहने वालों को सात साल की सजा

ByParyavaran Vichar

Aug 20, 2025
  • समान नागरिक संहिता (UCC) में संशोधन अधिनियम 2025 सदन में पेश।
  • विवाह पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाकर एक साल की गई।
  • धारा 380(2) और 387 में धोखे या दबाव से बने रिश्तों पर सख्त सजा का प्रावधान।
  • शादीशुदा होकर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर सात साल की जेल और जुर्माना।
  • रजिस्ट्रार जनरल को पंजीकरण निरस्त करने की शक्ति, जुर्माना भू-राजस्व की तरह वसूला जाएगा।

भराड़ीसैंण (चमोली) | उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने इसमें अहम बदलाव किए हैं। मंगलवार को “समान नागरिक संहिता उत्तराखंड संशोधन अधिनियम 2025” को विधानसभा में पेश कर दिया गया, जिसे बुधवार तक पारित किए जाने की संभावना है। इस संशोधन में विवाह, लिव-इन रिलेशनशिप और उत्तराधिकार से जुड़े कई प्रावधानों में सख्ती और पारदर्शिता लाई गई है।


विवाह पंजीकरण की समय सीमा बढ़ी

पहले विवाह पंजीकरण की समय सीमा छह माह थी, जिसे अब बढ़ाकर एक साल कर दिया गया है। यदि इस अवधि में पंजीकरण नहीं कराया जाता है तो संबंधित पक्ष को दंड और जुर्माना भुगतना होगा। इस संशोधन के तहत सब-रजिस्ट्रार के समक्ष अपील, शुल्क और पेनल्टी का भी निर्धारण किया गया है।


धोखाधड़ी और दबाव से बने रिश्तों पर सख्त प्रावधान

सबसे बड़ा बदलाव UCC की धारा 387 और 380(2) में किया गया है।

  • यदि कोई व्यक्ति बल, दबाव या धोखाधड़ी से किसी की सहमति लेकर उसके साथ सहवास संबंध (लिव-इन या अन्य) स्थापित करता है, तो उसे सात साल तक की कैद और जुर्माने की सजा दी जाएगी।
  • धारा 380(2) के तहत, यदि कोई शादीशुदा व्यक्ति धोखा देकर लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उसे भी सात साल की सजा और जुर्माना भुगतना होगा।
  • हालांकि यह प्रावधान उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां लिव-इन संबंध पहले ही समाप्त हो चुके हों या साथी का सात साल से कोई पता न हो

इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति पूर्व विवाह को कानूनी रूप से समाप्त किए बिना लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 82 के तहत सजा मिलेगी। इसके तहत भी सात साल तक की कैद और जुर्माना निर्धारित है।


नई धाराएं 390-क और 390-ख

संशोधन अधिनियम में दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं:

  • धारा 390-क: विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप या उत्तराधिकार से जुड़े किसी भी पंजीकरण को निरस्त करने की शक्ति अब रजिस्ट्रार जनरल को दी गई है।
  • धारा 390-ख: जुर्माने की वसूली भू-राजस्व बकाए की भांति होगी। यानी बकाया वसूली के लिए आरसी (Recovery Certificate) भी काटी जाएगी।

व्यावहारिक दिक्कतों का समाधान

समान नागरिक संहिता समिति की संस्तुतियों के आधार पर अधिनियम में कई तकनीकी सुधार भी किए गए हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • जहां पहले गलती से सीआरपीसी (CrPC) लिखा गया था, उसे अब सही करके बीएनएसएस (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) किया गया है।
  • कई जगह जहां पेनल्टी की जगह गलती से शुल्क (Fee) लिखा गया था, उसे भी संशोधित कर दिया गया है।

सरकार का रुख

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड पूरे देश में पहला राज्य है जिसने UCC को लागू किया और अब व्यावहारिक दिक्कतों को दूर करने के लिए इसमें संशोधन लाया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य समाज में समानता, पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करना है।

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