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पेपर लीक मामला: चालाक सुरेंद्र ने किया फर्जीवाड़ा, पर भूल गया

ByParyavaran Vichar

Oct 4, 2025

देहरादून। यूकेएसएसएससी की एक और परीक्षा से पहले एक संदिग्ध अभ्यर्थी पकड़ा गया है। यह अभ्यर्थी सहकारी निरीक्षक भर्ती के लिए फर्जी दस्तावेजों और झूठी जानकारियों के साथ तीन अलग-अलग आवेदन कर चुका था। आरोपी ने शैक्षिक प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र और स्थायी निवास प्रमाणपत्र — सब फर्जी बनाए थे। इतना ही नहीं, उसने तीन अलग-अलग मोबाइल नंबर इस्तेमाल किए और सेवायोजन विभाग की इंप्लाई आईडी भी फर्जी दर्ज की। गोपनीय जांच के बाद गाजियाबाद के मोदीनगर निवासी सुरेंद्र कुमार के खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

चालाकी में की एक बड़ी भूल

सुरेंद्र ने बहुत सोच-समझकर चाल चली थी। तीन फॉर्म भरे, हर दस्तावेज़ में हेरफेर की, लेकिन एक छोटी सी भूल ने पूरा खेल बिगाड़ दिया। उसने सेवायोजन विभाग की इंप्लाई आईडी “UA” से शुरू की, जबकि उत्तराखंड में अब “UK” से आईडी शुरू होती है। इतना ही नहीं, जहां 16 अंकों की आईडी होनी चाहिए थी, उसने सिर्फ 13 अंक लिखे। यही उसकी चालाकी की पोल खोलने के लिए काफी था।

हर दस्तावेज़ में अलग जानकारी

जांच में पता चला कि सुरेंद्र ने हर आवेदन में पिता के नाम की अलग-अलग स्पेलिंग लिखी — एक बार सालीक, दूसरी बार शालीक, और तीसरी बार सलीक। उसने फर्जी स्थायी प्रमाणपत्र भी बनवाया, जिसमें देहरादून का पता दर्ज था। इस पर आधारित ओबीसी प्रमाणपत्र भी बनाया गया, जिसमें प्रमाणपत्र संख्या गलत थी — 16 अंकों की जगह 17 अंक लिखे गए।

सुरेंद्र ने अपनी जन्मतिथि भी बार-बार बदली, ताकि फॉर्म स्वीकार हो जाएं। उसने कभी हाईस्कूल का साल बदला, कभी इंटरमीडिएट या ग्रेजुएशन का।

22 साल बाद जारी हुआ “स्थायी प्रमाणपत्र”

फर्जीवाड़े का एक और मजेदार पहलू यह था कि उसने दावा किया कि उसने स्थायी प्रमाणपत्र के लिए 2001 में आवेदन किया था, लेकिन प्रमाणपत्र 2023 में जारी हुआ! इतना ही नहीं, प्रमाणपत्र पर शासनादेश की संख्या गलत थी और नीचे एसडीएम के हस्ताक्षर भी नहीं थे

सुरेंद्र ने एक पता देहरादून का, दूसरा गाजियाबाद का और तीसरा हापुड़ का दर्शाया। यानी एक ही व्यक्ति तीन अलग-अलग जिलों में “स्थायी निवासी” बन गया।

तीन साल में तीन विश्वविद्यालयों से स्नातक!

उसने अपनी पढ़ाई के दस्तावेज़ों में भी हेराफेरी की। जन्मतिथि छिपाने के लिए उसने हाईस्कूल तीन बार दिखाया — एक बार 1995 में, दूसरी बार 1988 में। इतना ही नहीं, उसने दावा किया कि उसने साल 2010 से 2013 तक तीन अलग-अलग विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएशन की है — जबकि यह संभव ही नहीं है।

 

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