• Sun. Oct 12th, 2025

Paryavaran Vichar

Hindi News Portal

इस बार चुनाव की पिच से आउट है गैरसैंण का मुद्दा, खूब चला है सियासी ड्रामा

ByParyavaran Vichar

Apr 16, 2024

कर्णप्रयाग (चमोली)। राज्य बनने के बाद पांचवां लोकसभा चुनाव हो रहा है। इससे पहले लोकसभा हो या विधानसभा हर चुनावी पिच पर राजनीतिक दल गैरसैंण के मुद्दे को कभी बैक तो कभी फ्रंट फुट पर खेलते रहे हैं, लेकिन इस बार ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद पहली बार गैरसैंण का मुद्दा चुनावी पिच से बाहर पवेलियन में है।

केवल यूकेडी ही गैरसैंण के सवाल को उठा रही है। राज्य आंदोलनकारी महेश जुयाल कहते हैं, यूकेडी द्वारा 1980 में यहां बीरचंद्र सिंह गढ़वाली नगर गैरसैंण को राजधानी प्रस्तावित की गई। 90 के दशक में चले उत्तराखंड आंदोलन में गैरसैंण को ही राजधानी माना।

चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरिकृष्ण भट्ट कहते हैं, जिस भावना से राज्य बना उसके केंद्र में गैरसैंण राजधानी रहा। लेकिन, राज्य बनने के बाद कई राजनीतिक दलों ने पहाड़ चढ़ने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई और राजधानी के मसले को आयोगों के कुएं में धकेल दिया।

वर्ष 2012 में तत्कालीन विधायक डाॅ. अनुसूया प्रसाद मैखुरी, तब सांसद रहे सतपाल महाराज, मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाने की बात कह डाली। पूर्व सीएम हरीश रावत ने इसे आगे बढ़ाया, लेकिन राजधानी के लिए हजारों करोड़ की धनराशि की डिमांड तत्कालीन केंद्र सरकार से कर डाली। विधान भवन और विधायक आवास बनने के बाद यहां चंद दिनों के सत्र होते रहे। 2017 के बाद सीएम बने त्रिवेंद्र सिंह ने भी इसमें एक कदम और आगे बढ़ाया और ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दी। राज्य आंदोलनकारी दिनेश जोशी, एमएस नेगी का कहना है कि बदला कुछ नहीं।

गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के मध्य स्थित गैरसैंण में राज्य बनने के 24 साल बाद भी सुविधाएं विकसित नहीं हो पाईं। गैरसैंण स्थायी राजधानी निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट का कहना है कि गैरसैंण में राजधानी तो दूर एसडीएम और तहसीलदार तक स्थायी नहीं। कर्णप्रयाग के अधिकारियों के पास प्रभार है। गढ़वाल से गैरसैंण को जोड़ने वाली सड़क डबल लेन नहीं हो पाई। पानी के लिए आज भी लोग टैंकर पर आश्रित हैं। अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में लोग पलायन कर रहे है। राजधानी के लिए आंदोलन किए तो लोगों ने मुकदमे झेले।

गैरसैंण को जिला बनाने की मांग लंबे समय से है। यहां के लोगों को जिला मुख्यालय को जाने के लिए दो दिन लगते हैं, लेकिन जिला नहीं बना। यहां तक पूर्व में मंडल की घोषणा हुई, लेकिन सरकार बदलने के चलते मंडल की घोषणा भी लटक गई।

By Paryavaran Vichar

उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से प्रकाशित हिंदी समाचार पोर्टल पर्यावरण विचार एक ऐसा माध्यम है, जो हिंदी भाषा में लोगों को ताज़ा और महत्वपूर्ण समाचार प्रदान करता है। हिंदी समाचार पोर्टल पर्यावरण विचार द्वारा लोग उत्तराखण्ड के साथ-साथ फीचर, खेल, मनोरंजन, राजनीतिक, आलेख और राष्ट्रीय समाचारआदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *