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डॉ0 अंबेडकर: शिक्षा, समानता और परिवर्तन के प्रतीक

ByParyavaran Vichar

Apr 12, 2025

(सलीम रज़ा)

डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय इतिहास के एक महान समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष में समर्पित कर दिया और दलितों, वंचितों तथा पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई।डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में हुआ था। वे एक महार जाति से थे, जिसे उस समय अछूत माना जाता था। बचपन में उन्हें बहुत भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने शिक्षा को अपना हथियार बनाया।



उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली और बाद में कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमेरिका) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की।अंबेडकर ने अछूतों के अधिकारों के लिए कई आंदोलन चलाए। उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’, ‘दलित मजदूर पार्टी’, और ‘ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन’ जैसे संगठनों की स्थापना की। उन्होंने “चवदार तालाब सत्याग्रह”, “महाड़ सत्याग्रह” और “कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन” जैसे आंदोलनों के जरिए दलितों को समाज में बराबरी दिलाने का प्रयास किया।स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण के दौरान डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।



उन्होंने एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की गारंटी देता है। उन्होंने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।अपने जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने हिन्दू धर्म की सामाजिक विषमताओं से तंग आकर 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया। उन्होंने बौद्ध धर्म को समानता और करुणा का प्रतीक बताया।डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ। उनका योगदान भारत के लिए अमूल्य है। हर वर्ष 14 अप्रैल को उनका जन्मदिवस ‘अंबेडकर जयंती’ के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी और सामाजिक समानता की नींव रखी। वे आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका जीवन संघर्ष, शिक्षा और समर्पण की मिसाल है। भारत को उनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता।

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