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रियल इस्टेट कारोबारी बने 100 किसानों ने की 25 करोड़ से अधिक की कर चोरी

ByParyavaran Vichar

May 29, 2024

कानपुर। कानपुर में खेतिहर जमीन को आवासीय में बदलवाकर किसान छोटे-छोटे प्लॉट बनाकर बेच रहे हैं। इससे करोड़ों रुपये की कमाई तो कर रहे हैं, लेकिन सरकार को कर नहीं दे रहे हैं। कानपुर रीजन के आगरा में ऐसा मामला पकड़ में आने के बाद विभाग ने कानपुर शहर में भी जांच कराई, तो बड़ा खेल पकड़ में आया।

आयकर विभाग ने शहर के 100 किसानों को चिह्नित कर नोटिस भेजे हैं। इन पर करीब 25 करोड़ रुपये की देनदारी निकली है। ये नोटिस वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्लॉटिंग के जरिये की गई कमाई के आधार पर दिए गए हैं। दरअसल, आयकर विभाग कर चोरी और काले धन को रोकने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।

इस मामले में विभाग को सालाना सूचना विवरण (एआईएस) और 18 स्रोतों से जानकारी मिली की रियल इस्टेट कारोबारी बने किसान बड़े पैमाने पर आयकर की चोरी कर रहे हैं। इसके लिए प्लॉट इतने छोटे काट रहे थे कि उनकी कीमत 30 लाख रुपये से कम रहे, ताकि आयकर की नजर से बचे रहें।

आयकर विभाग के उच्च सदस्य सूत्रों के मुताबिक आसूचना एवं आपराधिक अन्वेषण शाखा ने वित्तीय वर्ष 2020-2021 में प्लॉटिंग कर करोड़ों रुपये कमाने वाले 100 किसानों को नोटिस भेजा है। इन मामलों में या तो रिटर्न ही नहीं दाखिल किए गए या आय को पूरी तरह से छिपाया गया।

कानपुर रीजन (पश्चिमी उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड) के आगरा शहर में एक किसान ने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए एक व्यक्ति से करार किया। इसकी जानकारी आयकर विभाग को लगी। विभाग ने जब उपनिबंधक कार्यालय से जानकारी जुटाई तो पता चला कि करार रद्द हो चुका है।

इसके बाद विभाग ने किसान के बारे में जांच-पड़ताल की तो मालूम हुआ कि उसने पुश्तैनी जमीन पर 50 से अधिक प्लॉट काटे और बेचकर रजिस्ट्री की। इससे उसने करोड़ों रुपये कमाए, लेकिन टैक्स नहीं अदा किया। अब किसान पर साढ़े पांच करोड़ रुपये कर की देनदारी निकली है। विभाग ने किसान के साथ-साथ उससे जमीन खरीदने वालों को भी नोटिस जारी कर टैक्स अदा करने का आदेश जारी किया है।

दरअसल, 30 लाख या इससे अधिक के प्लॉट की रजिस्ट्री होने पर रजिस्ट्रार कार्यालय आयकर विभाग को सूचना भेजता है। इन किसानों ने जो प्लॉट बेचे हैं, उनकी कीमत 30 लाख से कम दिखाई गई है। इस वजह से आयकर विभाग को जानकारी नहीं हो पाई, लेकिन जब आगरा रीजन में ऐसा मामला पकड़ में आया, तो अन्य शहरों में भी जांच शुरू कराई गई। इस जांच में ही कानपुर के 100 किसानों की गर्दन फंस गई।

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