• Mon. Jul 28th, 2025

Paryavaran Vichar

Hindi News Portal

कपिल सिब्बल की दलील: “धर्म में दखल दे रहा है वक्फ संशोधन अधिनियम”

ByParyavaran Vichar

Apr 16, 2025

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू की। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों की पीठ इस संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रही है। इस दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद सहित कई याचिकाकर्ता न्यायालय कक्ष में उपस्थित रहे।



सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने दो प्रारंभिक सवाल उठाए — पहला, क्या इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए या इसे उच्च न्यायालय के पास भेजा जाए? दूसरा, याचिकाकर्ता किस प्रकार के विशेष संवैधानिक और कानूनी मुद्दों को चुनौती देना चाहते हैं?



याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि यह संशोधन “पार्लियामेंटरी लॉ के माध्यम से धर्म के एक आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप” करने का प्रयास है। उन्होंने वक्फ अधिनियम की धारा 3(आर) पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस संशोधन के तहत अब किसी भी व्यक्ति को वक्फ स्थापित करने से पहले यह प्रमाण देना होगा कि वह पिछले पाँच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा है।



सिब्बल ने पूछा, “अगर मैं मुसलमान पैदा हुआ हूँ, तो मुझे यह क्यों साबित करना चाहिए? मेरा व्यक्तिगत कानून (पर्सनल लॉ) लागू होता है।” उन्होंने इस शर्त को असंवैधानिक और धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात करने वाला बताया।



इसके अतिरिक्त, उन्होंने वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड की संरचना में किए गए बदलाव पर भी सवाल उठाया। सिब्बल ने कहा, “संशोधन से पहले इन निकायों में केवल मुसलमान शामिल होते थे, लेकिन अब संशोधन के बाद इनमें गैर-मुस्लिमों, विशेषकर हिंदुओं की भागीदारी का रास्ता खोला गया है। यह न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता की भी अवहेलना है।”

क्या है आगे?
अदालत ने संकेत दिया है कि अगली सुनवाई में वह इस मामले के संवैधानिक पहलुओं की गहराई से जांच करेगी और यह तय करेगी कि राज्य द्वारा धार्मिक संस्थानों और प्रथाओं में कितना हस्तक्षेप उचित है। इस सुनवाई से उम्मीद की जा रही है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता, पर्सनल लॉ और धर्मनिरपेक्षता की सीमाओं को स्पष्ट करेगी।

By Paryavaran Vichar

उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से प्रकाशित हिंदी समाचार पोर्टल पर्यावरण विचार एक ऐसा माध्यम है, जो हिंदी भाषा में लोगों को ताज़ा और महत्वपूर्ण समाचार प्रदान करता है। हिंदी समाचार पोर्टल पर्यावरण विचार द्वारा लोग उत्तराखण्ड के साथ-साथ फीचर, खेल, मनोरंजन, राजनीतिक, आलेख और राष्ट्रीय समाचारआदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *