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यात्रा का प्लान बनाएं तो बधाणीताल जरूर आएं, रंग-बिरंगी मछलियों का संसार…

ByParyavaran Vichar

May 1, 2024

तिलवाड़ा (रुद्रप्रयाग)। आगामी 10 मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा में आने के साथ ही इस बार, रुद्रप्रयाग जनपद के प्राकृतिक नजारों का दीदार भी कर लीजिए। इन नजारों में एक है, बधाणीताल, जो अपनी खूबसूरती के साथ ही विशेष धार्मिक महत्व भी संजोए हुए है। ताल में रंग-बिरंगी मछलियों का संसार बसता है, जो यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केद्र बन जाता है।

जखोली ब्लॉक के बांगर पट्टी के ग्राम पंचायत बधाणी में स्थित प्राकृतिक बधाणीताल प्रकृति की खूबसूरत नेमतों में एक है। वर्षभर साफ पानी से लबालब रहने वाला यह ताल अब रुद्रप्रयाग जिले का इको पर्यटन का केंद्र भी बनने जा रहा है। समुद्रतल से 2100 मीटर ऊंचाई पर स्थित बधाणीताल का विशेष धार्मिक महत्व है।

मान्यता है कि इस ताल की उत्पत्ति भगवान विष्णु द्वारा अपनी नाभि से जलधारा निकालने से हुई है। प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को संजोए यह ताल लगभग 300 मीटर की गोल परिधि में फैला हुआ है। मई-जून में भी इस ताल का जलस्तर पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। वर्ष 1996 में अविभाजित यूपी में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक मातबर सिंह कंडारी के प्रयासों से ताल में मत्स्य पालन के उद्देश्य से हर्षिल से यहां रंग-बिरंगी मछलियां लाई गई थीं।

ताल में इन मछलियों का संसार देखते ही बनता है। पानी में अठखेलियां करती ये मछलियां, पर्यटकों के आकर्षा का केंद्र बनती है। ग्रामीणों के द्वारा इन मछलियों को नियमित तौर पर चारा दिया जाता है। यही नहीं, बधाणतील ताल, बांगर पट्टी के गांवों के पेयजल स्रोतों को वर्षभर रिचार्ज भी कर रहा है।

मार्च 1999 में चमोली में आए भूकंप से बधाणीताल के जल स्तर पर भी प्रभाव पड़ा है। बताया जाता है कि भूकंप के कारण ताल के मुख्य स्रोत से पानी निकलने की गति कम होने के कारण ऐसा हुआ है। अनुमान के मुताबिक ताल की गहराई लगभग 5 मीटर रह गई है।

बधाणीताल को इको पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए पर्यटन विभाग ने तीन करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। इस धनराशि से जहां ताल के चारों तरफ के क्षेत्र को संरक्षित किया जाएगा। वहीं, पर्यटकों के लिए पाथ-वे, पार्क और अन्य सुविधाएं जुटाई जाएंगी। इस ताल के विकसित होने से मयाली से बांगर और द्यूली सौड़ से पंवालीकांठा में पर्यटन, ट्रेकिंग और एडवेंचर को भी नया आयाम मिलता। साथ ही पुजार गांव स्थित आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा निर्मित प्राचीन वासुदेव मंदिर भी तीर्थाटन का केंद्र बनेगा।

जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से बधाणीताल 59 किमी दूर है। यहां पहुंचने के लिए तिलवाड़ा-मयाली-रणधार मोटर मार्ग से पहुंचता जाता है। यहां होटल, लॉज की सुविधा नहीं है। इसलिए पर्यटकों को रात्रि प्रवास के लिए मयाली, तिलवाड़ा या रुद्रप्रयाग पहुंचना पड़ेगा।

बधाणीताल को जनपद का इको पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए प्रारंभिक स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। तीन करोड़ रुपये के प्रस्ताव को तैयार कर शासन को भेज दिया गया है। आचार संहिता खत्म होते ही प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाएगी, जिसके बाद जरूरी कार्य शुरू किए जाएंगे।

– राहुल चौबे, जिला पर्यटन एवं सहासिक खेल अधिकारी रुद्रप्रयाग

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